आज सुबह से ही बड़ी बैचैनी हो रही है, पता नहीं क्या बात है।सौम्या को तैयार करके स्कूल भेज दिया और नहाने चली गयी। आकार पूजा की तैयारी कर के पूजा करने जाने ही वाली थी की पतिदेव आये और बोले यार जल्दी नास्ता बना दो, आज बॉस ने जल्दी बुलाया है, लंच वही कर लूंगा। इतनी जल्दी, मैंने पूछा? हाँ यार कोई जरूरी मीटिंग है कहकर वो नहाने चले गए। पता नहीं क्यों बैचैनी ज्यादा हो रही थी, बड़े ही अनमने मन से नाश्ता बनाया, ये खाकर ऑफिस के लिए निकल गए। जल्दी से सब रखकर हाथ पाँव धोये और भागी पूजाघर की तरफ।
मेरे कान्हा! मेरे सबसे अच्छे दोस्त, उनसे अपने मन की हर बात कह देती हूं मैं , फिर डर नहीं लगता जैसे उन्होंने सब संभाल लिया हो। प्रभु बड़ा डर लग रहा है,आप ही बताओ न क्या बात है, ऐसा कभी तो नहीं लगता। वैसे आप हो तो काहे की चिंता? सबका भला करना प्रभु, हम सब पर कृपा बनाये रखना।
"श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरधारी तेरी आरती गाऊं। " आरती गाने में जाने कैसे खो सी जाती हूं मैं। पूजा करने के बाद घर के काम निपटाने मे लग गयी, जैसे सब ठीक हो गया हो,बड़ा हल्का महसूस कर रही थी। थोड़ी ही देर में दरवाजे की घंटी बजी, देखा तो पड़ोस वाली आंटी अंकल बड़े परेशान से खड़े थे। आइये आइये, अंदर आइये ना, मैंने कहा। पर उन्होंने कहा आज रवि( मेरे हस्बैंड) मिला था, कह रहा था जरूरी काम है, सुबह 8:30 की ट्रैन पकड़ने वाला था। जी अंकल, पर बात क्या है, मैंने घबराते हुए पूछा? आंटी अचानक ही रोने लगी बोली उस लोकल में तो बम ब्लास्ट हो गया है , कोई नहीं बचा। मेरे आसपास तो अँधेरा ही अँधेरा छा गया, मेरी क्या हालत थी, शव्दों में बयान नहीं कर पा रही हु।
सीधे दौड़ते हुए कान्हा के पास गयी, उन्हें देखा तो लगा ऐसा नहीं हो सकता। बस वही बैठे बैठे कान्हा कान्हा करने लगी तभी मेरा मोबाइल बजा जो आंटी ने उठाया और ख़ुशी से चिल्लायी, बेटा रवि का फ़ोन है, वो ठीक है। मैंने आँख खोलकर कान्हा जी को देखा, लगा वो मुस्कुरा रहे हैं, मैं भी मुस्कुरा दी। इनकी आवाज कानो में पड़ी तो लगा जैसे अभी अभी प्यार हो गया हो, आप बस जल्दी आ जाइए, इतना ही बोल पायी।
ये घर आये तो मैं ऐसे गले लगी जैसे किसी का लिहाज ही न हो,थोड़ी देर में अंकल ने पूछा ,हुआ क्या था बेटा, तुम ट्रैन में नहीं गए क्या? नहीं अंकल, बस यही मोड़ पर एक बहुत ही सुन्दर लड़का मिल गया था,साथ साथ चल रहा था, मैंने पूछा, कहा रहते हो, पहले कभी तो देखा नहीं तुमको? कहने लगा यही तो रहता हूँ। आप कहाँ रहते हो? मैंने बताया कि मैं शिवम् बिल्डिंग में रहता हूं, ऑफिस का भी बताया।उसने बताया कि वो मेरे ऑफिस के पास ही जा रहा है, लेकिन टैक्सी से, और कहने लगा आप भी क्यों नहीं चलते मेरे साथ, मैंने कहा नहीं, थैंक्यू, मैं ट्रैन से जाता हूं। अब वो ज़िद करने लगा बोला मुझे अच्छा लगेगा अगर आप चलेंगे तो वैसे भी टैक्सी जा तो रही है न उस तरफ। मैंने भी सोचा चलो ठीक है, आज टैक्सी से सही, कम से कम ट्रैन की धक्का मुक्की से तो बचूंगा। और हम लोगो ने एक टैक्सी कर ली।
मुझे देखकर ये बोले, यामिनी पता नहीं क्या जादू था उस लड़के में की बस मैं खिंचा चला जा रहा था, बहुत ही प्यारा है वो।आज जैसा मुझे पहले कभी नहीं लगा। मैं भागी कान्हा की तरफ, मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने आज मेरे पति के साथ मेरी जान जो बचा ली थी,वो अभी भी मुस्कुरा रहे थे। Thank you Dost....